hum to gaa kar mukt huye
अब इस शेष विदा के क्षण में
जी करता है कह दूँ वह जो चिर दिन से है मन में
जाने सुन कर क्या सोचोगी
क्या यह हाथ हाथ में लोगी
फिर तुम भी वह सब कह दोगी
जो खोया जीवन में
सुख दुःख पुण्य पाप क्षर अक्षर
माना सब हैं आज बराबर
कुल विषाद घुल जायेगा पर
एक सजल चुम्बन में
अब इस शेष विदा के क्षण में
जी करता है कह दूँ वह जो चिर दिन से है मन में