hum to gaa kar mukt huye

गीत ये गूँजेंगे उर-उर में
नृत्यांगन में, देवांगन में, पुर में, अन्तःपुर में

जब भी कोई विह्वल होगा
जब भी कोई चंचल होगा
जब भी कोई घायल होगा
निज पीड़ा को व्यक्त करेगा इन्हीं पदों के सुर में

सरिता नहीं ठहरती तट पर
पनघट से जाती मरघट पर
रंग भरे कितने भी पट पर
मैंने दुःख की यही कसक पायी हर मिलनातुर में

गीत ये गूँजेंगे उर-उर में
नृत्यांगन में, देवांगन में, पुर में, अन्तःपुर में