jyon ki tyon dhar deeni chadariya
झेलना ही होगा संताप
कोरे आँसू से न धुलेंगे तेरे पिछले पाप
नहीं कर्मफल मिटें मिटाये
जब ऋण चुका, शरण में आये
स्रष्टा तभी तुझे अपनाये
सुन ले करुण विलाप
करुणा है उसकी दुखहरणी
पर दी बुद्धि-तितिक्षा-तरणी
नदी पार तुझको है करनी
कर्णधार बन आप
मोह-मुक्ति ही मुक्तिमंत्र है
तू बंधन में भी स्वतन्त्र है
बजा उसे जो मिला यन्त्र है
हाथ न जायें काँप
झेलना ही होगा संताप
कोरे आँसू से न धुलेंगे तेरे पिछले पाप