ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया_Jyon Ki Tyon Dhar Deeni Chadariya
- अब तो साध यही है मन की
- अहम् त्वां – दिल में पहले सी
- आत्मविश्वास – वाद की धुन पर नाचनेवाले
- आस्था – बुरा-भला, कटु-मधुर
- कवि – राजनीतिज्ञ नहीं तू
- कृपा – मैंने कवितायें भी लिखी हों
- गये सभी जो आये
- घोर दुखमय हो यहाँ
- छोड़ दे उस पर निर्णय सारा
- जीवन – ज़िंदगी फूल भी है
- झेलना ही होगा संताप
- तटस्थ – मौन हो जो
- नहीं भी जग तेरी जय बोले
- निराशा – अंधों को श्रृंगार
- प्रभु का यह प्रसाद है, भाई !
- प्रार्थना – व्यर्थ संग्रह समस्त
- बंधन – भूमि आकाश नाप
- भक्ति रहित ज्ञान
- भक्तिगीत – ज्ञान से ध्यान
- भाग्य से माना कुछ न चली
- भूल करके भी हूँ बड़भागी
- मंगलाचरण
- मन रे ! क्यों तू सोच करे !
- मैं – शोक, भय, काम
- मैं रहूँ न जब तुम पर है, झुके न स्वामी !
- मोह यदि नहीं स्वयं का छूटे
- यह जग जगपति का सपना है
- याद कर उस मोहक सपने को
- रसूल – रसूल आये थे
- लगन सच्ची यदि तेरे मन की
- वार्धक्य – आज यह कैसा
- विष की व्यथा भुला दे मन से
- शब्द – भाव को प्राण
- शब्दों की असमर्थता
- सांत्वना – काल के बाण क्या
- क्षमा याचना – हो मिलन न प्रियजन से
- Was it only a light Divine
- गजल_किसीने गाया, किसीने पढ़ा, किसीने सुना