jyon ki tyon dhar deeni chadariya

छोड़ दे उस पर निर्णय सारा
सदा कष्ट-संकट से जिसने तुझको पार उतारा

अपने सुख-दुख का साक्षी बन
देख बदलते निज को क्षण-क्षण
छिपा न उससे तेरा जीवन

जिसने खेल पसारा

चेतन का गुण ही है ममता
क्यों उसको जड़ मान, सहमता!
क्या यह सलिल-प्रवाह न थमता

जड़ होती यदि धारा!

अणु-अणु का लेखा जो रखता
वह प्रभु तुझे भुला कब सकता!
देखेगा ज्यों ही, तू थकता

देगा तुरत सहारा

छोड़ दे उस पर निर्णय सारा
सदा कष्ट-संकट से जिसने तुझको पार उतारा