हर सुबह एक ताज़ा गुलाब_Har Subah Ek Taza Gulab

  1. अब कहाँ मिलने की सूरत रह गयी !
  2. अब कोई प्यार की पहल तो करे
  3. अब उन हसीन अदाओं का रंग छूट गया
  4. आ, कि अब भोर की यह आख़िरी महफ़िल बैठे
  5. आप, और घर पे हमारे, क्या ख़ूब !
  6. आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से !
  7. इन आँसुओं से तुम अपना दामन सजा रहे थे, पता नहीं था
  8. उसने करवा दी मुनादी शहर में इस बात की —
  9. कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके
  10. कभी होंठों पे दिल की बेबसी लायी नहीं जाती
  11. कहने को तो वे हमपे मिहरबान बहुत हैं
  12. कहाँ आ गये चलके हम धीरे-धीरे
  13. क्या छिपी है अब हमारे दिल की हालत आपसे !
  14. कुछ और चाँद के ढलते सँवर गयी है रात
  15. कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में
  16. ख़त्म उनपर है सभी शोखियाँ ज़माने की
  17. ख़्वाब समझें कि वाक़या समझें
  18. चैन न आया दिल को घड़ी भर
  19. ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये
  20. ज़िंदगी मरने से घबराती भी है
  21. ज़िंदगी में यह सवाल उठता है अक्सर, क्या करें !
  22. जीने का कोई हासिल न मिला
  23. जो यहाँ पे आये थे सैर को, नहीं फिर वे लौटके घर गये
  24. जो सच कहें तो ये कुल सल्तनत हमारी है
  25. तुझसे लड़ जाय नज़र, हमने ये कब चाहा था !
  26. तेरी बेरुख़ी ने मुझको, ये हसीन ग़म दिया है
  27. दर्द को हँसकर उड़ाना चाहिए
  28. दिन गुज़रते गये, रात होती रही
  29. दिल को हमारे प्यार का धोखा तो नहीं है
  30. दिल हमें देखके कुछ देर को धड़का होता
  31. दिए तो हैं, रौशनी नहीं है
  32. न छोड़ यों मुझे, ऐ ज़िंदगी बेसाज़
  33. प्यार का रंग हज़ारों से अलग होता है
  34. प्यार किस तरह उनको जतलायें !
  35. प्यार की हम तो इशारों से बात करते हैं
  36. प्यार दिल में है अगर, प्यार से दो बात भी हो
  37. पाँव तो उस गली में धरते हैं
  38. फूल अब शाख से झड़ता-सा नज़र आता है
  39. बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह
  40. बेझिझक, बेसाज़, बेमौसम के आ
  41. भेंट उसने गुलाब की ले ली
  42. मुझे देखते रहे जो बड़ी बेरुख़ी से पहले
  43. मेरी चाह उस नज़र में, कभी है, कभी नहीं है
  44. यह प्यार दगा दे, कभी ऐसा नहीं होगा
  45. यों ख़यालों में उभरता है एक हसीन-सा नाम
  46. यों तो निशान पाँव का मिलता है यहीं तक
  47. यों तो सभी से मेल-मुहब्बत है राह में
  48. राह हमको लिए जाती है कहाँ, कौन कहे !
  49. लगा न होंठों से प्याला तो एक बार कभी
  50. हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात
  51. हमसे वो चुराता नज़र, ऐसा तो नहीं था
  52. हर क़दम यह राह मुश्किल और है
  53. हमारी ज़िंदगी ग़म के सिवा कुछ और नहीं
  54. हमारे वास्ते कहना है जो, खुशी से कहो

“मार्मिक संवेदना और सहज अभिव्यंजना के समाहार में इन ग़ज़लों की कला आप अपना आदर्श बन गयी हैं”
-आचार्य विश्वनाथ सिंह