har subah ek taza gulab
दिल को हमारे प्यार का धोखा तो नहीं है
यों आँख मिलाना, मगर अच्छा तो नहीं है
लाने का यहाँ और ही मक़सद है तुम्हारा
जो हमको दिखाते हो, तमाशा तो नहीं है
आते हैं किस अदा से वे घर पर हमारे आज
कहते हुए– ‘आने का इरादा तो नहीं है !’
कहिये तो उनकी हूबहू तस्वीर बना दें
यह सच है, हमने आँख से देखा तो नहीं है
कहते हैं देखकर वे तड़पना गुलाब का–
‘इसमें कोई क़सूर हमारा तो नहीं है’