har subah ek taza gulab
कभी होंठों पे दिल की बेबसी लायी नहीं जाती
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
न यों मुँह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक !
कहानी ज़िंदगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग़्मा निकलता है
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती
हमारा दिल तो कहता है, उन्हें भी प्यार है हमसे
तड़प उसकी भले ही हमको दिखलायी नहीं जाती
नहीं जाती, गुलाब ! उन शोख़ आँखों की महक दिल से
हमारे आईने से अब वो परछाईं नहीं जाती