jyon ki tyon dhar deeni chadariya

अब तो साध यही है मन की
नाता एक तुझीसे जोड़ूँ, आस छोड़ जन-जन की

नित नव भक्ति-भावना जागे
सोचूँ व्यर्थ न, क्या हो आगे
मन तुझमें श्रद्धा रख त्यागे

चिंताएँ क्षण-क्षण की

भागदौड़ में समय बिताया
यदपि न संतों-सा बन पाया
पर क्या कम, तेरा गुण गाया

श्रद्धा-वृत्ति ग्रहण की!

बस अब यही विनय है, स्वामी!
छूटे नहीं डोर जो थामी
हूँ भी भोगाकुल, सुखकामी

दे तू शरण चरण की

अब तो साध यही है मन की
नाता एक तुझीसे जोड़ूँ, आस छोड़ जन-जन की