jyon ki tyon dhar deeni chadariya
आस्था
बुरा-भला, कटु-मधुर, विधाता ने जो भी प्याले में ढाला
चाहे-अनचाहे उसको ही पीता है हर पीनेवाला
तेरे ही कर्मों का फल है, यदि तुझको मिल गया गरल है
मन रे! आस्था हो प्रभु पर तो अमृत बने विष का भी प्याला
आस्था
बुरा-भला, कटु-मधुर, विधाता ने जो भी प्याले में ढाला
चाहे-अनचाहे उसको ही पीता है हर पीनेवाला
तेरे ही कर्मों का फल है, यदि तुझको मिल गया गरल है
मन रे! आस्था हो प्रभु पर तो अमृत बने विष का भी प्याला