jyon ki tyon dhar deeni chadariya
आत्मविश्वास
वाद की धुन पर नाचनेवाले
लें न रुचि आज जाँचनेवाले
पर न मुझको भुला सकेंगे कभी
काव्य के रसिक बाँचनेवाले
ये सभी आसमान के तारे
हैं जिसे दूँढ़-दूँढ़कर हारे
छेड़ता है वही मुझमें छिपकर
सुर भी अपने कभी प्यारे-प्यारे
दिल के अलबम में सजे बंधु सभी मिल जाते
घेरकर वे मुझे सुनते हैं, जो भी लिखता हूँ.
प्रेरणा काव्य की देते मुझे गुरुजन नभ से
प्रेम-वर्षा से ही मरु में भी हरा दिखता हूँ