jyon ki tyon dhar deeni chadariya

मैं रहूँ न जब, तुम पर है, झुके, न स्वामी!
यह ध्वजा, शेष पल तक जो मैंने थामी

जी तो करता है, यहीं लौट कर आऊँ
फिर नये सुरों में तेरे गुण ही गाऊँ
पर विनय यही, यदि नियति भिन्न भी पाऊँ

फहराते रहें इसे मेरे अनुगामी

इस महासिंधु में लघुकण की गणना क्या!
मेरा जाना, आना, मिटना, बनना क्या!
इस क्षणिक-सिद्धि पर गर्वित हो तनना क्या!

जो मिली मुझे है सेवाहित बेनामी

पा नाथ!तुम्हारी कृपा सदैव स्रजन में
हूँ मैं अकाम भी पूर्णकाम जीवन में
अपराध क्षमा, मैंने यह देन भुवन में

यदि अपनी कह, यश लूटा, अन्तर्यामी!

मैं रहूँ न जब, तुम पर है, झुके, न स्वामी!
यह ध्वजा, शेष पल तक जो मैंने थामी