jyon ki tyon dhar deeni chadariya

मैं
शोक, भय, काम, क्रोध, ईष्या का
मूल हो ‘मैं’ ही कुल समस्या का
पर यही तो है भक्ति का भी मूल
अन्यथा लाभ क्‍या तपस्या का!