jyon ki tyon dhar deeni chadariya

गये सभी जो आये
तू ही क्यों घबराये!

चलता यहाँ निरंतर
परिवर्तन का चक्कर
गतिमय सभी चराचर

तू कैसे थम पाये!

यों तो साँझ सवेरे
काल सभी को घेरे
पर जो घट में तेरे

मिटे न कभी मिटाये

कौन अमर है भू पर!
उठ जा रज से ऊपर
श्रद्धा रख निज प्रभु पर

मरण-भीति मिट जाये

गये सभी जो आये
तू ही क्यों घबराये!