kagaz ki naao

तू क्यों यश के पीछे भागे!
यश तो शब्दों में है तेरे, पा लेगा बेमाँगे

वह यश क्या जो श्रेय न लाये
अंधा जो अंधों से पाये
रत्न-विभूषण भी दिलवाये

टिके न दो दिन आगे !

तुझे मिले चिर-यश लोकोत्तर
निज को शब्दों में जीवित कर
तुझमें जो आनंद-सरोवर

उसमें डूब, अभागे!

लेकर भक्ति, मुक्ति के वर दो
देख रहा तेरी गति-मति जो
गा उसके गुण, जन्म सुफल हो

क्या है, यदि जग त्यागे!

तू क्यों यश के पीछे भागे!
यश तो शब्दों में है तेरे, पा लेगा बेमाँगे