kagaz ki naao

 

कोई आये या मत आये
और न रह पायेंगे तट पर हम यह नाव टिकाये

एक-एक-कर नाविक सब जा रहे पाल फैलाये
एक हमींको क्‍यों अब भी इस तट का मोह सताये !

मोल लगा लो कुछ भी उनका, मोती जो हम लाये
जो पाना था पा हमने तो हैं बेमोल लुटाये

कमी न कुछ रत्नाकर में, नाविक जायें न गिनाये
लेते रहना रत्न उन्हींसे अब तुमको जो भाये

कोई आये या मत आये
और न रह पायेंगे तट पर हम यह नाव टिकाये

जनवरी 09