kitne jivan kitni baar
अपना बानक आप बनाओ
मुझको तो बस बीच-बीच में झलक दिखाते जाओ
नाम-रूप कुछ भी धर लो, जी चाहे जैसे आओ
पर जब मैं पहिचान न पाऊँ, धीरे से मुस्काओ
विघ्नों को आने दो जी भर, कितना भी भटकाओ
पर जब मुझे हारता देखो, सिर पर हाथ फिराओ
तुम्हें भूल भी जाऊँ मैं, पर तुम मुझको न भुलाओ
हँस कर तुरत भागता आऊँ जब बाँहें फैलाओ
अपना बानक आप बनाओ
मुझको तो बस बीच-बीच में झलक दिखाते जाओ