kitne jivan kitni baar

कौन बैठा है मेरे मन में
भेज रहा है जो मोती की ये लड़ियाँ क्षण-क्षण में ?

वे मोती जो कभी तुम्हारी आँखों में चमके थे
मेरी जीवन-निधि, मणि-दीपक जो अंतरतम के थे

कौन सजाने चला उन्हींको आज विश्व-प्रांगण में ?

क्या कोई अनदेखा पथ इस मन से तुम तक जाता
जिससे गोपन भाव तुम्हारा पल में मुझ तक आता?

कौन भेजता सपने मैंने देखे जो यौवन में?

कौन बैठा है मेरे मन में
भेज रहा है जो मोती की ये लड़ियाँ क्षण-क्षण में ?