kitne jivan kitni baar
राग नहीं जाता है
मुँह का रंग उड़े पर मन का फाग नहीं जाता है
माना, कातर नयन फिराकर
लीन हुई तुम, तम में सत्वर
सुनता हूँ मैं पायल के स्वर
प्रिये! तुम्हारा वह पहला अनुराग नहीं जाता है
काल-सरित सब कुछ ले बहता
भीगी पलकों से कुछ कहता
पर जो सतत चमकता रहता
मेरी स्मृति से वह आँसू का दाग नहीं जाता है
राग नहीं जाता है
मुँह का रंग उड़े पर मन का फाग नहीं जाता है