kitne jivan kitni baar

हमारे वे दिन बीत गये
एक-एककर जैसे वे मधु के घट रीत गये

वे चिर-पोषित कीर हमारे
श्वेत-श्याम निज पंख पसारे
चुन-चुनकर जीवन-कण सारे

गाते गीत गये

पृष्ठ आयु के वे अति सुन्दर
मिटा दिए किसने लिख-लिखकर!
अब न मिलेंगे किसी  मोड़ पर

जो प्रिय मीत गये

प्रेमभरे प्राणों की लय से
राग उठे थे कैसे-कैसे
वे सब दाँव स्वप्न में जैसे

हम थे जीत गये

हमारे वे दिन बीत गये
एक-एककर जैसे वे मधु के घट रीत गये