mere geet tumhara swar ho
दृष्टि के आगे से मत हटना
जब हो, प्रभु! जीवन-पुस्तक का अंतिम पृष्ठ पलटना
दे नव जीवन का आश्वासन
वह स्वरूप दिखलाना उस क्षण
पल में कटें मोह के बंधन
लगे नाम की रटना
मैंने उर के रंगों को ले
शब्दों के जो मधुघट घोले
उन्हें बचाना, जब मुँह खोले
चाहे काल झपटना
करना यही कृपा क्षण-क्षण की
टिकें न दुश्चिन्तायें मन की
मृत्यु लगे मुझको जीवन की
नित की-सी ही घटना
दृष्टि के आगे से मत हटना
जब हो, प्रभु! जीवन-पुस्तक का अंतिम पृष्ठ पलटना