mere geet tumhara swar ho
यदि इन गीतों को गाओगे
तो इनमें अपने मन की धड़कन भी सुन पाओगे
पर यदि लो न सुरों की वीणा
आँखों से ही हो रस पीना
तो भी लाँघ शब्द-पट झीना
तुम मुझ तक आओगे
उस स्थिति की जो मैंने भोगी
पढ़, अनुभूति तुम्हें भी होगी
योगी कभी, कभी संयोगी
सँग-सँग बन जाओगे
ये हैं मेरे मन के दर्पण
पा इनमें अपना भी क्षण-क्षण
लोभ, मोह, भय, मान, समर्पण
मुझे न बिसराओगे
यदि इन गीतों को गाओगे
तो इनमें अपने मन की धड़कन भी सुन पाओगे