mere geet tumhara swar ho

कभी जी में तेरे यह आया!
क्या लाया, क्या ले जायेगा, क्या खोया, क्या पाया!

सुकुल, सुवेश, सुवृत्ति, सुहृद-दल
ये तो हैं गत जन्मों के फल
सोचा भी क्या पायेगा कल

जब बदलेगी काया!

कितने दुख, अभाव-दंशन नित
झेल रहे जग-जन शोकान्वित
जो निधि तुझको मिली लोकहित

उसे बाँटना भाया!

अब भी चेत, लाज कर मन में
कर ऐसा कुछ इस जीवन में
जो पाया है आज भुवन में

हो कल और सवाया

कभी जी में तेरे यह आया!
क्या लाया, क्या ले जायेगा, क्या खोया, क्या पाया!