mere geet tumhara swar ho

अमरत्व

कैसे मिले जीवन को शोध चिर-जीवन का
कैसे काल-जाल से निकाल ले स्वयम्‌ को
मानव सदा से इसी चिंता में रहा है लीन
कैसे जीत पाये वह अजेय शत्रु यम को
काव्य, इतिहास रचा, स्मारक बना के बड़े
पालता रहा है चेतना के इसी भ्रम को
क्‍यों न वह सोचता है, लाभ क्‍या मिलेगा उसे
पाकर अमरत्व भी न पाये जो अहम्‌ को !