mere geet tumhara swar ho
काल
देह को कर दे राख की ढेरी
बस यहीं तक है कुल अँकड़ तेरी
काल ! क्या आँख दिखाता है मुझे !
तू न पायेगा बुझा लौ मेरी
काल
देह को कर दे राख की ढेरी
बस यहीं तक है कुल अँकड़ तेरी
काल ! क्या आँख दिखाता है मुझे !
तू न पायेगा बुझा लौ मेरी