mere geet tumhara swar ho
छंदमुक्त कविता
व्योमवासी खग पिंजरे मे कैसे बँध पायें !
छंदों में फँसी ही रहती हैं मेरी भावनायें
अच्छे वे कवि हैं जो विमुक्त सभी बंधनों से
अंतर के भावों को स्वतंत्र होके दिखलायें
छंदमुक्त कविता
व्योमवासी खग पिंजरे मे कैसे बँध पायें !
छंदों में फँसी ही रहती हैं मेरी भावनायें
अच्छे वे कवि हैं जो विमुक्त सभी बंधनों से
अंतर के भावों को स्वतंत्र होके दिखलायें