mere geet tumhara swar ho
दुराशा
अंजलि से जैसे सागर को पीना है
सूई-धागा ले अंबर को सीना है
वैसे ही यश की अभिलाषा ले, कवि का
धनी अरसिकों की जमात में जीना है
दुराशा
अंजलि से जैसे सागर को पीना है
सूई-धागा ले अंबर को सीना है
वैसे ही यश की अभिलाषा ले, कवि का
धनी अरसिकों की जमात में जीना है