nao sindhu mein chhodi

मैंने प्रेम-योग साधा है
लुटा दिया अंतर में जो भी मधु पूरा-आधा है।

दुख तो पलकों तले छिपाया
सुख अपना घर-घर पहुँचाया
जो भी इस जीवन में पाया

शब्दों में बाँधा है

जब कैशोर चेतना आयी
भावुकता ने ली अँगड़ाई
तब से ही इस मन पर छायी

ज्यों कोई राधा है

मैंने प्रेम-योग साधा है
लुटा दिया अंतर में जो भी मधु पूरा-आधा है।