nupur bandhe charan
पंथ अगम, निशि भारी
एक-एककर चले गये सब, अबकी मेरी बारी
साथ न कोई, सँकरी है पगडंडी जैसे आरी
समय बीतता, चलने की करनी होगी तैयारी
इसके पार सुनहली नगरी, भवन, बगीचे, क्यारी
जोह रही होगी पुरबाला बाहर बाट हमारी
पंथ अगम, निशि भारी
पंथ अगम, निशि भारी
एक-एककर चले गये सब, अबकी मेरी बारी
साथ न कोई, सँकरी है पगडंडी जैसे आरी
समय बीतता, चलने की करनी होगी तैयारी
इसके पार सुनहली नगरी, भवन, बगीचे, क्यारी
जोह रही होगी पुरबाला बाहर बाट हमारी
पंथ अगम, निशि भारी