nupur bandhe charan

यह हिरण्यमय लोक कहाँ था?
कौन स॒प्त अश्वों के रवि-रथ को बढ़ने से रोक रहा था?
सारी निशि तमसा के तट पर रोता विरही कोक रहा था
पद्म-भित्ति में वंदी मधुकर गड़ा दाँत की नोक रहा था
आते हुए गगन-पथ में रवि को उलूक-दल टोक रहा था
रजनी भर आश्रय जिसका प्राची का अरुण अशोक रहा था
यह हिरण्यमय लोक कहाँ था?