nupur bandhe charan

शकुंतला के प्रति (3)

तुम्हीं पवन में आज प्रवाहित मेरे रोम-रोम को छूती
वन की हरीतिमा में तुम हो, कोकिल तुम मधुऋतु की दूती
तुम सरि में पावस की धारा, हिम के बिंदु-बिंदु में तुम हो
नभ में, गिरि पर, किरण, कुसुम में, तारा, तरणि, इंदु में तुम हो
मेरी श्वास-श्वास में बहती रोम, रूप, रस, गंध, तुम्हारी
पंच तत्त्व मुझमें, तुम उनमें मधुर मुखाकृति लिये सिधारी
किसका शोक करूँ! गोचर रूपों में तुम ही मोहमयी हो
आत्मा चिर-अद्वैत शक्ति मेरी मुझमें हो लीन गयी हो

अपनी 3.5 वर्षों की अल्पवयस पुत्री शकुंतला की मृत्यु पर सन्‌ 1948 में
ये 6 गीत लिखे गये थे।