pankhuriyan gulab ki
कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है !
हमें भी जो अपना बनाओ तो क्या है !
वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी
दिये को दिये से जलाओ तो क्या है !
नज़र आईना, रूप भी आईना है
मगर बीच में यह बताओ तो क्या है !
हमारे-तुम्हारे सिवा कौन है अब !
ये परदा घड़ी भर हटाओ तो क्या है !
गुलाब एक दिन पास पहुँचेंगे ख़ुद ही
जो आओ तो क्या है, न आओ तो क्या है !