pankhuriyan gulab ki

कोई दिल में आकर चला जा रहा है
निगाहें मिलाकर चला जा रहा है

हज़ारों थे वादे, हज़ारों थीं कसमें
मगर सब भुलाकर चला जा रहा है

जो पूछा भी उससे कि फिर कब मिलोगे
तो बस मुस्कुराकर चला जा रहा है

जिसे देखने को खड़ा था ज़माना
वो परदा गिराकर चला जा रहा है

गुलाब ! आप जिसके लिये खिल रहे थे
वही मुँह फिराकर चला जा रहा है