pankhuriyan gulab ki

तेरी तरह बोली नहीं यह भी, प्यार जताकर देख लिया
हमने तेरी तस्वीर को भी सीने से लगाकर देख लिया

छूट गया था साथ भले ही, प्यार पे आँच न आयी मगर
जब भी मिले राहों में कभी हम, उसने लजाकर देख लिया

और तो चाहे कुछ न हुआ हो बाग़ में आने-जाने से
फूल समझ कर उसने हमें भी आँख उठाकर देख लिया

साँस की हर धड़कन में छिपी एक बेचैनी थी आठ पहर
हमने किसीकी याद को अपने दिल से भुलाकर देख लिया

और ही कुछ है उस चितवन में जिसके लिये बेचैन हैं हम
यों तो नज़र के हर परदे को हमने हटाकर देख लिया

वे, जो कुँवारी शाम को उस दिन आपको बेहद भाये थे
वैसे गुलाब न फिर खिल पाये, सबने खिलाकर देख लिया