pankhuriyan gulab ki

राह फूलों से सजेगी एक दिन
प्यार की डोली उठेगी एक दिन

उनपे मरते हैं हमारी मौत भी
ज़िन्दगी बनकर रहेगी एक दिन

प्यार सच्चा है तो मंज़िलदूर क्या!
ख़ुद ही पाँवों से लगेगी एक दिन

ज़िन्दगी के ठाठ पर मत जाइए
यह निगाहें फेर लेगी एक दिन

धूल से मुँह मोड़ना कैसा, गुलाब!
धूल ही बिस्तर बनेगी एक दिन