ret par chamakti maniyan
जब तक जरा-सी भी साँस रहती है
प्रकृति हमारे जीवन की आशा नहीं त्यागती है।
जैसे कोई माँ
अपने नवजात शिशु को गोद में दबाये
बर्फीले तूफानों से भरी रात में
जंगल से घर की ओर भागती है
वैसे ही हमारी सुरक्षा के लिए विकल
प्रकृति अपना आँसू भरा आँचल फैलाकर
क्रूर काल से बार-बार
हमारे प्राणों की भिक्षा माँगती है।