ret par chamakti maniyan

जो धीरे-धीरे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं
वे भी कहीं बड़े हैं!
बड़े तो वे हैं
जो मील के पत्थरों की तरह
एक ही स्थान पर खड़े हैं,
उनसे भी बड़े वे हैं
जो चादर बिछाकर धरती पर लेटे पड़े हैं।