ret par chamakti maniyan

तेरे समाप्त कह देने से ही
क्या जीवन समाप्त हो जायगा!
बस यही होगा,
जो आज एक छोटी-सी सीमा में बंद हैं
कल असीम गगन में व्याप्त हों जायगा