ret par chamakti maniyan
अव्यक्त को किसी व्यक्त के माध्यम से ही
जाना जा सकता है
रैखागणित के बिंदु की तरह
अव्यक्त को स्वीकार करने से ही
व्यक्त के अस्तित्व को भी माना जा सकता हैं;
तभी सृष्टि का यह सतरंगा महल
खड़ा हो सकेगा,
इसके अन्य सभी नियम खरे उतरेंगे,
अन्यथा न बीज होगा न वृक्ष,
न कहीं पक्षी कलरव करेंगे।