sab kuchh krishnarpanam
मिट न सकेगी अब यह विरह-व्यथा
मिल-मिलकर भी रह जायेगी चिर-अनकही कथा
हृदय अशांत रहेगा,
जब तक एक न होगा तुमसे
यों ही भ्रांत रहेगा
क्षणिक तोष के लिए बनी है यह परिरंभ-प्रथा
मिट न सकेगी अब यह विरह-व्यथा
मिल-मिलकर भी रह जायेगी चिर अनकही कथा
फरवरी 85