shabdon se pare
जाने मैंने उस जीवन में कौन-कौन-से पाप किये थे!
काट गिरा दी थी धरती पर हरी-भरी पीपल की डाली
किसी वधिक के हाथों बेची काली गैया बछड़ेवाली
जन्मागत भू-खंड किसीके न्याय-दंड से नाप लिये थे
भरी फसल में किसी कृषक का खेत खड़े होकर लुटवाया
आज छूटता साहस जैसे, गेह किसीसे था छुड़वाया
आँखों के आँसू भी जिसने आँखों में चुपचाप पिये थे
तड़पाया था हृदय लाज से नीरव बनी किसी बाला का
या अपने को लक्ष्य बनाया मित्रों की ईर्ष्या-ज्वाला का
किसी दिलजले ने यों जलते रहने के अभिशाप दिये थे
जाने मैंने उस जीवन में कौन-कौन-से पाप किये थे!
1943