tilak kare raghuveer

दया यह भी कम न थी तुम्हारी
समझा मुझको भी चरणों तक आने का अधिकारी

राजसभा थी जुड़ी तुम्हारी
गायक एक-एक से भारी
जब सबने थी चुप्पी धारी

आयी मेरी बारी

मैं उनमें क्या शोभा पाता!
कुछ उल्टा-सीधा था गाता
जब भी कोई तान उठाता

हँसती परिषद् सारी

पर आश्चर्य , गीत सुन मेरा
तुमने हाथ पीठ पर फेरा
पल में लाँघ सभा का घेरा

उमड़ पड़े नर-नारी

दया यह भी कम न थी तुम्हारी
समझा मुझको भी चरणों तक आने का अधिकारी