vyakti ban kar aa

तू यह भली-भाँति जान ले,
मैं तेरे चरणों में मचलने का अधिकार नहीं छोड़ सकता,
तू चाहे आकाश से भी ऊँचा हो गया हो,
मैं तेरी उँगली पकड़कर चलने का अधिकार नहीं छोड़ सकता।
यह सच है कि अब तू मेरे गाल नहीं चूमता है,
यह सच है कि अब तू मुझे कंधों पर लिये नहीं घूमता है,
फिर भी झाड़ी-झुरमुट की ओट से
बाँसुरी तो बजाता है,
कभी फूलों में मुस्कराता
और कभी पत्तों में गुनगुनाता है;
जब भी रात के सन्नाटे में
मैं नींद से जाग उठता हूँ
तो लगता है, तू अभी-अभी मेरे सिरहाने से उठकर गया है;
खिड़की के परदे हिलते हैं,
तकिये पर तेरे आँसुओं के चिह्न मिलते हैं,
लगता है, सारा घर किसी अनजानी
सुगंध से भर गया है।
‘ओ पिता! मैं तुझे कभी भुला नहीं पाऊँगा,
जब तक एक भी साँस रहेगी,
तेरा ही गुण गाऊँगा।