vyakti ban kar aa

पहले वीणा के तारों को सुधारा जाता है,
तब उन पर गीतों को उतारा जाता है।
बाँसुरी भली हो या बुरी,
रागिनी क्‍यों बजे बेसुरी !
नर्तक कैसा भी हो,
आँगन तो सदा फूलों से सँवारा जाता है !
हमारे रोने की भी एक लय होती है,
गायक यदि कुशल हो
तो हर तान मधुमय होती है।