vyakti ban kar aa
पुनर्जन्म में शंका व्यर्थ है।
हर सुबह हम नया जन्म ही तो ग्रहण करते हैं;
हर रात जब गहरी नींद आती है
समझिए मौत आती है,
यानी हर रात हम मरते हैं,
अंतर यही है
कि मृत्यु के बाद हम कहीं और होते,
लोग हमारे लिए फूट-फूटकर रोते हैं।
कभी नींद से जागकर आपने सोचा है
कि सो जाने पर आपकी चेतना कहाँ जाती है ?
शरीर तो वैसे-का-वैसा रहता है,
साँसें भी वैसी ही चलती हैं,
फिर नींद भला किसे आती है?
कभी आपके मन में यह विचार आया है
कि सपने कौन देखता है ?
नींद का अनुभव कौन करता है?
आपके अंदर निरंतर
कौन जीता-मरता है ?
यह तो कहिए,
‘हम रात गहरी नींद में सोये थे’
कहने का क्या अर्थ है ?
नहीं, पुनर्जन्म में शंका व्यर्थ है।
मरते ही समाप्त हो जाय
जीवन इतना असहाय नहीं है,
हमारा सारा लिया-दिया, किया-कराया
व्यर्थ और निरभिप्राय नहीं है।