vyakti ban kar aa

मुझमें अनंत संभावनायें भरी हैं,
ऐसा सुना है;
फिर भी जीवन के अगणित विकल्पों में
मैंने तुझे ही चुना है।
कैसी है यह अनन्यता!
ओ देवता!
जब भी हदय शब्दों में ढला है,
मुँह से तेरा ही नाम निकला है।