vyakti ban kar aa

आप चाहें तो इन्हें गद्य ही कहें,
पद्य अथवा प्रपद्य ही कहें,
मुझसे पूछेंगे तो मैं यही कहूँगा
कि मैंने इनमें अपने हृदय की कोमलतम भावनायें भर दी हैं।
छंदों का मोह छोड़कर,
अलंकारों से मुँह मोड़कर,
कविता की नयी संभावनायें भर दी हैं।