vyakti ban kar aa

मैं अपना किसको कहूँ,
यहाँ सभी अनजाने लगते हैं!
कुछ नासमझ हैं, और
कुछ दीवाने लगते हैं!
बड़ी कठिन घड़ी है,
सभीको अपनी-अपनी पड़ी है;
फिर भी ऐसे अलबेले मिल ही जाते हैं कभी-कभी,
जो मेरी तरह विष पीकर मुस्कुराने लगते हैं।