vyakti ban kar aa

मैं उन सीढ़ियों पर आकर बैठ गया हूँ
जिनपर चढ़कर तू ऊपर गया था।
तब मैं नया-नया था
और यह नहीं जानता था कि तू अब कभी लौटकर नहीं आयेगा,
तेरा अस्तित्व मेरे लिए सपना रह जायेगा;
तेरे ओंठों पर व्यथाभरी मुस्कान
और आँखों में कातर उदासी थी,
तू हर सीढ़ी से पलटकर मुझे देख लेता था,
जाने वह कैसी गलफाँसी थी
जो तुझे खींचे लिये जा रही थी।
प्रतिक्षण मुझसे दूर किये जा रही थी!
फिर भी तेरे मुख पर स्वर्गीय प्रेम का प्रकाश था,
तू भले ही मुझे छोड़कर जा रहा था
पर तुझे अपनी अमरता का विश्वास था।
ओ पिता!
मैं भी तेरी तरह ऊपर जाने से नहीं डरूँगा,
तू यदि अमर है तो मैं ही कैसे मरूँगा!