vyakti ban kar aa

मैं तुझे किस नाम से पुकारूँ?
क्या कहकर संसार को तेरा परिचय दूँ?
किन रंगों और रेखाओं में तेरा चित्र उतारूँ?
यह कैसा उत्तर है
कि तू दूर खड़ा-खड़ा केवल मुस्कुराता है!
मेरी ओर अपनी बाँहें तो फैलाता है
मुँह पर एक शब्द भी नहीं लाता है!
क्या मैं तुझे चिर-रहस्यमय ही कहूँ!
तेरी ओर बस विस्मय से देखता ही रहूँ।